सबसे पहले मैं दीपांश शुक्ला आप सभी को मेरा हृदयिक नमस्कार करता हु यह कविता मैं युवाओ एवं छात्रों को समर्पित करता हू🙏 अविचल अमिट रहना होगा,प्रगति पथ पर बढ़ना होगा😍 उठो जागो ओर करो निरंतर यही अधिकार👬 हमारा है समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है शौर्यज,धीरज तेहि रथ चका बल,विवेक,ध्वजा और पताका सत्य शील दो परहित घोड़े,क्षमा दया,कृपा दो रज जोड़े अविचल अमिट रहना होगा प्रगतिपथ पर बढ़ना होगा दृढ़निश्चय होना होगा अब को कुछ करना ही होगा मन में ज्ञान संचयन कर नई दिशा में जाना है कुछ कर के दिखलाना है समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है संघर्ष आधार तत्व कर समर्पित होना है अस्तित्व का तामीर बोना है । अविचल अमिट रहना होगा प्रगतिपथ पर बढ़ना होगा जनसेवा का अनुराग वंश बढ़ाना होगा जिज्ञासा को अभिसिक्त करना है संकल्प अश्रु जल से पूरे होंगे सब सपने समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है पीयूष स्रोत से रहना है जीवन के इस सुन्दर समतल में संघर्ष सदा उर अंतर में जीवित रहे नित्य विरुद्ध रहा ...
जन्माष्टमी सम्पूर्ण पूजन विधि पवित्र मंत्र:- ओम अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोअपि वा। यः स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः।। जल को स्वयं पर और पूजन सामग्री पर छींटे लगाकर पवित्र करें। हाथ में फूल लेकर श्रीकृष्ण का ध्यान करें : वसुदेव सुतं देव कंस चाणूर मर्दनम्। देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगद्गुरुम्।। हे वसुदेव के पुत्र कंस और चाणूर का अंत करने वाले, देवकी को आनंदित करने वाले और जगत में पूजनीय आपको नमस्कार है। जन्माष्टमी पूजन संकल्प मंत्र : ‘यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्रीजन्माष्टमी पूजनं महं करिष्ये। हाथ में जल, अक्षत, फूल या केवल जल लेकर भी यह संकल्प मंत्र बोलें, क्योंकि बिना संकल्प किए पूजन का फल नहीं मिलता है। भगवान श्रीकृष्ण आवाहन मंत्रः जिन्होंने भगवान की मूर्ति बैठायी है उन्हें सबसे पहले हाथ में तिल जौ लेकर मूर्ति में भगवान का आवाहन करना चाहिए, आवाहन मंत्र- अनादिमाद्यं पुरुषोत्तमोत्तमं श्रीकृष्णचन्द्रं निजभक्तवत्सलम्। स्वयं त्वसंख्याण्डपतिं परात्परं राधापतिं त्वां शरणं व्रजाम्यहम्।। तिल जौ को भगवान की प्रतिमा ...