सबसे पहले मैं दीपांश शुक्ला आप सभी को मेरा हृदयिक नमस्कार करता हु यह कविता मैं युवाओ एवं छात्रों को समर्पित करता हू🙏 अविचल अमिट रहना होगा,प्रगति पथ पर बढ़ना होगा😍 उठो जागो ओर करो निरंतर यही अधिकार👬 हमारा है समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है शौर्यज,धीरज तेहि रथ चका बल,विवेक,ध्वजा और पताका सत्य शील दो परहित घोड़े,क्षमा दया,कृपा दो रज जोड़े अविचल अमिट रहना होगा प्रगतिपथ पर बढ़ना होगा दृढ़निश्चय होना होगा अब को कुछ करना ही होगा मन में ज्ञान संचयन कर नई दिशा में जाना है कुछ कर के दिखलाना है समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है संघर्ष आधार तत्व कर समर्पित होना है अस्तित्व का तामीर बोना है । अविचल अमिट रहना होगा प्रगतिपथ पर बढ़ना होगा जनसेवा का अनुराग वंश बढ़ाना होगा जिज्ञासा को अभिसिक्त करना है संकल्प अश्रु जल से पूरे होंगे सब सपने समय समय की धारा है विनय विन्रम सहारा है पीयूष स्रोत से रहना है जीवन के इस सुन्दर समतल में संघर्ष सदा उर अंतर में जीवित रहे नित्य विरुद्ध रहा ...